मेट्रो स्टेशन तक
कीचड़ में सने पाँव भी कभी कभी महंगे परफ्यूम से कहीं ज़्यादा सुख देते हैं… जब मन मौसम छटपटा कर भीग जाना चाहे तो उमस की भभकती आग भी सुहानी लगने लगती है…एक उम्मीद साथ लाती है न … भीग जाने की…. इंतज़ार जब हद...
View Articleखाके
जानते हो ये दुनिया अब अच्छी नहीं लगती मुझे.. अकेली हो गई हूँ.. थी तो पहले भी पर तब महसूस नहीं होता था… दबा दीं थी भावनाएं.. उन पर मुट्ठियाँ भर भर मिट्टी डाली थी… दफन कर दिया था जज़्बातों को.. ख़्वाबों का...
View Articleहवा थमी सी है
हवा थमी सी है पंछी चुपचाप शाखों पर बैठे हैं सूरज बादलों को छिटक अपने तेज पर है और माहौल में हल्की सी गर्मी साधारण सा ही है ये दिन पर जाने क्यों मन चाहता है इक तूफ़ान सा आए फूलों में हरकत हो सड़क चलती नज़र...
View Articleएक और गज़ल
चूड़ी की खनक हुई बावरी चांदनी रातें रोज़ नहीं आतीं गुनगुना रही अलमस्त हवा काली घटाएं बाज़ नहीं आतीं जादू सा घुला है फिज़ा में खामोश सदाएं शोर नहीं मचातीं समेट ले, नशीली सौगातें ‘अनु’ फलक से सितारियां...
View Articleअब नहीं
अब नहीं कुरेदती मैं मन को.. आहत होना.. ज़ख्मों का रिसना.. आंसुओं का उमड़ना.. किसी छोटी सी बात पर भावुक हो जाना… झट दिल का बोझ हल्का करने को मुस्कुरा देना… हाथ बढ़ा कर कहना कि सखी संग हूँ मैं तुम्हारे.. दो...
View ArticleShort Poems on Picture
जितने दूर उतने पास ———————– परिस्थितिजन्य भ्रम है आकृति प्रकृति व्यक्तित्व ————————— काल अवस्था स्थान में न्यूनतम परिवर्तन दृष्टिदोष भंग करने में सर्वदा समर्थ ———————————- आचार-विचार संस्कार-व्यवहार...
View ArticleTime
Time is a Master Magician Nowhere but Omnipresent Nobody but Omnipotent He Creates He Evades He Desecrates Memories, Existence, Life Yet no Blame unto Him Unblemished, He Shines Another Hour, Day,...
View Articleतेरी
तेरी खनकती हंसी मेरे हाथों के कंगन तेरी मस्त आँखें मेरे दिल की धड़कन तेरा धीमा सा ख्याल मेरे पाँव की पायल तेरा तीखा सा सवाल मेरे नैनों का काजल तेरे गुस्से की धार पर मेरे प्यार का वार तेरे जीत की धुन...
View Articleदो लड़ाके
ये वक़्त भी न.. अजब पहेली है.. जाने कैसे इसे हमारी बेक़रारी की खबर हो जाती है… जिस दिन आप जल्दी में हों ठीक उसी दिन ये थम सा जाता है… घड़ी की सुइयां चिपक सी जाती हैं.. अक्खड़ बन सेकंड की सुई मिनट्स से भी...
View Articleओ प्रहरी
श्यामल रात्रि के धवल चन्द्र की शीतलता निर्मल प्रभात के मुखर सूर्य की ऊष्णता गोधूलि के क्षीण तारकों की चंचलता ब्रह्म मुहूर्त के पंछी की कलरवता तुम्हारे हर रूप से आकर्षित धरा बाला किंचित लज्जाती किंचित...
View Articleमेरा नाम
उस रोज़ तुमने हौले से मेरा नाम बुदबुदाया था बिजली सी कौंधी थी दिल में तूफ़ान आया था सूखे पत्ते सी काँपी मैं शाख झूल सी गयी बादलोँ के घोड़े पे हो सवार बांका चाँद चला और मैं कमली सी उसके साथ हो ली संग नापे...
View Articleपलकों की छाँव में
पलकों की छाँव से देखा जो उसको तो दिल हाय! हमने ये हारा !! भंवरा अनजाना था थोड़ा दीवाना था बागों में फिरता आवारा !! कलियों ने सींचा था बादल सा भीगा था परियों के दिल का शहज़ादा !! मस्त पतंग सा वो उड़ता गगन...
View ArticleBadlapur : Movie
कोई हल्की फुल्की कॉमेडी देखने का मन था.. सोचा मॉडर्न डे गुड लुकिंग गोविन्दा.. यानि कि वरुण धवन से बेहतर आप्शन भला क्या होगा.. थोड़ी सर्च की… और अंदाज़न बदलापुर पर नज़र पड़ी.. मूवी के कुछ गाने खासे लोकप्रिय...
View Articleहथकरघे पर बुनी
हथकरघे पर बुनी कविताएँ ज़मीन का सौंधापन साथ लिए जन्मतीं हैं निपुण बुनकर अपनी उँगलियों पर थिरकते शब्दों को ताने-बाने में उलझाता नहीं न ही वर्तनी को लंगड़ी कर अर्थ का अनर्थ करवाता है उसे नहीं चाहिए क्षणिक...
View Articleशब्दताल
गहरे उतरूं शब्दताल में स्वर व्यंजन से टकराऊं सामने डोले तेरी सूरतिया सुधबुध मैं खो जाऊं इक मूरत से लगन लगी छैनी सी कलम चलाऊं पर फिसले ये मन बावरा बारीकियों में उलझी जाऊं मुझे न गढ़नी कोई मुरतिया न...
View Articleपक्षी
तुमने कभी बिजली की तारों पे बैठे पंछी देखे हैं? अक्सर चौराहों पे दिखते हैं। दाना चुगते, गोल से घूमते और फिर बैठ जाते चुपचाप पंक्ति बनाके। कभी आराम फरमाते नज़र आते हैं तो कभी उदास दिशाहीन से ज्यों मंदिर...
View Articleशोर
आसपास के शोर को अनदेखा करती.. धीमे-धीमे अवचेतन में उभरते विचारों की तहें उलटती पलटती हूँ.. डायरी के पन्नों में रखा सुर्ख गुलाब, अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को सूखी पंखुरियों में समेटे… मुझे कनखियों से देखता...
View Articleपरमार्थी
कड़कड़ाती बिजली गड़गड़ाते बादल झमाझम बरसता निर्मल जल और कहीं लुका-छिपा सा सूरज खूबसूरत है दिन आज! इन मेघों को खूब कोसा है मैंने उलाहने भी दिए हज़ार आते जाते जाने कितनी बार देखा मुड़कर किया इंतज़ार पर...
View Articleमिसिज़ जोशी
बातों का सिलसिला अक्सर लंबा खिंचता है… चाय की छोटी सी प्याली.. न न फूल-पत्ती वाली खूबसूरत नहीं.. बल्कि वही स्ट्राइप्स वाले थरमोफोर्म के कप में दो घूँट भूरा गर्म पानी और उस पर चिपकी गाढ़ी मलाई.. हाथ में...
View Articleहसरतें
मेरी हसरतों का कारवां तेरे साथ-साथ चला… मील के पत्थरों से उड़ी खुशबू गुनगुनाती कलियों का काफिला मिला मचलती हवाएं तेरे गेसुओं से उलझीं रंगीन तितलियों को आसमां मिला बुलबुलों से नाज़ुक एहसास हमारे ख़्वाबों...
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