Quantcast
Channel: Scribbles of Soul
Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

मेरा नाम

$
0
0

उस रोज़ तुमने हौले से मेरा नाम बुदबुदाया था
बिजली सी कौंधी थी दिल में तूफ़ान आया था
सूखे पत्ते सी काँपी मैं शाख झूल सी गयी

बादलोँ के घोड़े पे हो सवार बांका चाँद चला
और मैं कमली सी उसके साथ हो ली
संग नापे धरती आकाश स्वप्न लोक की नींद टटोली

और धीरे से समझ में आया तुम बदरा नहीं आवारा
पंछियों से उन्मुक्त हो असीमित उड़ान तुम्हारी
पर हमारे नीड़ की निश्चितता सर्वोपरि तुम्हारी

आज फिर हौले से वो नाम तुम्हारे होंठों पे आया है
पर अबके न कुछ गरजा न कोई तूफ़ान लाया है
बस इक मीठा सा सौता हमारे बीच बह चला
प्रेम विध्वंस कहाँ, जाने बस सृजन की कला !
Anupama


Viewing all articles
Browse latest Browse all 465