Quantcast
Channel: Scribbles of Soul
Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

एक और गज़ल

$
0
0

चूड़ी की खनक हुई बावरी

चांदनी रातें रोज़ नहीं आतीं

 

गुनगुना रही अलमस्त हवा

काली घटाएं बाज़ नहीं आतीं

 

जादू सा घुला है फिज़ा में

खामोश सदाएं शोर नहीं मचातीं

 

समेट ले, नशीली सौगातें ‘अनु’

फलक से सितारियां रोज़ नहीं आतीं !!

Anupama


Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

Trending Articles