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Channel: Scribbles of Soul
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3550 Subscribers on Mere Shabd Mere Saath

कहते हैं, नियति से भागा नहीं जा सकता… 17 साल पहले बी एड बीच में छोड़कर भाग अाई थी… Lesson Plan बनाना और फिर उन्हें बच्चों पर थोपने की कोशिश करना ताकि यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर को इंप्रेस कर पाऊं, बहुत...

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आश्रम, धर्मवीर भारती

सुख दुख, पूर्ण अपूर्ण, खाली भरा… क्या हैं ये शब्द, विलोम? न, शायद तस्वीर का दूसरा रुख, जो उतना ही अलग जितना एक सा… कभी कभी किसी कहानी में यूं ही डूब जाती हूं, मानो बस मेरे ही लिए लिखी थी लेखक ने… और...

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परिंदे, निर्मल वर्मा

कहानियों का जादू सर चढ़कर कैसे बोलता है, जानना हो तो निर्मल वर्मा की “परिंदे” से बेहतर कुछ नहीं… मैं तो चीड़ के पत्तों की चरमराहट और बिंदी से जलते सिगार की आँच में बर्फीली हवाओं सी मिस लतिका और बेफिक्र...

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पुल

अजब है ज़िन्दगी किसी के लिए हम पुल तो कोई हमारे लिए पुल कितने पुल पार हुए कितनी बार पुल बनकर बदहाल हुए किसी को याद भी नहीं वैसे भी याद रह जाए तो चुभन होती है ख़ुद पर से गुज़रते बूटों की ठक ठक कहीं अंदर...

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प्रेम परिभाषा

प्रेम इस छोटे से शब्द को परिभाषित करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है आप कह भर दें कि मुझे “तुमसे” प्रेम है कि बस “तुम” का होना, उसका होना रह ही नहीं जाता क्षण भर में परिवर्तित हो जाता है “मैं” और “तुम”...

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पाताल लोक

अपने सबसे करीबी रिश्ते से क्या चाहते हैं आप? प्यार, अपनापन, आपसी समझ, बिना शर्त आप जैसे हैं, वैसा स्वीकार कर लिया जाना? शायद, इतनी सी ही आशा है सम्बन्धों से क्योंकि समाज से आप को ये सब मिलना असम्भव है।...

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अम्मा, कृष्ण कांत अरोरा

कहानियों की एक विशेषता है कि वो अपने पाठक खुद ढूंढ लिया करती हैं। हमेशा से मानती अाई हूं कि हम किताबों तक नहीं, बल्कि किताबें हम तक पहुंचा करती हैं। किसी न किसी माध्यम, किसी न किसी रूप में, आहिस्ता से...

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Shakuntala Devi, Movie Review

ज़िन्दगी में अक्सर हम बिल्कुल वैसे ही बन जाते हैं, जैसे हम नहीं होना चाहते। जिन बातों से हमें चिढ़ होती है, जाने अनजाने उन्हीं में उलझते हैं। जैसे लोग हमें नहीं भाते, वही हमसे बार बार टकराते हैं। और...

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काल: समय या मृत्यु

किसी वक़्त में एस्ट्रोलॉजी में बहुत इंटरस्ट था… इंटरनेट भी नया नया ही आया था उन दिनों… घंटों के हिसाब से पैकेज मिला करते थे, शायद मंत्रा सर्विस प्रोवाइडर हुआ करता था… मैं डेस्कटॉप पर बैठती तो इसी धुन...

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Sarbjit, Movie Review

Sarbjit, another biopic after Shakuntala, though I am late in discovering this movie. It was released in 2016 and available on prime for a long long time. But, one way or the other, it kept sliding out...

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बिराज बहू, शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

स्त्री और पुरुष के पति पत्नी होने पर भी जिस आपसी सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए, आज तक समाज तैयार नहीं, उसे आज से 150 वर्ष पूर्व शरत चन्द्र ने अपने उपन्यास में कितनी सहजता से उकेर दिया, पढ़कर विस्मित हूं।...

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बाल भगवान, स्वदेश दीपक

क्रूरता का नंगा नाच देखना हो तो इंसान के सामने लालच की एक बोटी लटका दीजिए, वह सारी मानवता भूल कर, बड़े से बड़े पाप को करते हुए असीम प्रसन्नता और संतोष अनुभव करेगा। और किसी भुलावे में मत रहिएगा, यह लालच...

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हिंदी या हिन्दी

भाषा तरल है, भाव और समय के साथ रूपांतरित हो जाना इसकी विशेषता है। पर नियम जानना, व्याकरण और वर्तनी का सही प्रयोग समझना, किसी भी भाषा में अगर आप दक्षता प्राप्त करना चाहते हैं तो अति आवश्यक। मेरी फ्रैंड...

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अन्तिम प्यार, रवीन्द्रनाथ टैगोर

कला के लिए किस पायदान तक उतरा जा सकता है? क्या निजी भावनाओं का कोई मोल होता भी है किसी कलाकार के लिए? या केवल प्रसिद्धि और येन केन प्रकारेण हर सही गलत, सुख दुख, संवेदना, वेदना को ताक़ पर रखा जा सकता...

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मीनमेख निकालना

कभी कभी कुछ ऐसे शब्द/ मुहावरे टकरा जाते हैं कि आप विस्मित हो उठते हैं कि कितनी ही बार उपयोग करने के बावजूद हम उनका अर्थ नहीं समझ पाए। आज मुझे भी ऐसा ही एक झटका लगा, हरिवंशराय बच्चन की “क्या भूलूं क्या...

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Ludo, Movie

लाइफ और लूडो बिल्कुल एक जैसे हैं… हर गोटी का अपना ही रास्ता और उस पर आने वाली मुश्किलें और फ़ायदे भी उसके बेहद निजी… और फिर खेल तब तक ख़त्म नहीं, जब तक हर गोटी घर न पहुंच जाए… जी, एकदम नया कॉन्सेप्ट,...

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Chhalaang, Movie

कुछ फिल्में अपने डायलॉग से जानी जाती हैं तो कुछ के डायलॉग ही मूवी की कहानी बयां कर देते हैं… “चौड़ भी न औकात देखकर रखनी चाहिए… 70 का बन्दा, 150 किलो की रखेगा तो बोझ से दबेगा ही” अजब सी है न लाइन और अब...

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नवजीवन

मेरे शब्द मेरे साथ पर अनुपमा सरकार की कविता “नवजीवन” At advent of 2021, Anupama Sarkar welcomes the New Year with an ode to humanity and new life in her poem Navjeevan नन्हीं सी बारिश की बूँद में उफनता...

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Prem ki Biradari, Parsai

It’s heartwarming to listen to stories. Bed time stories, moral stories, dramatic, fiction, fantasy, memoirs, travels and satires. Wherever you look, there is a story. Even poetry is a form of story...

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Sons and Lovers, D H Lawrence

Sons and Lovers, I read this book almost two years ago. But didn’t write anything about it, a rarity with me, as the book had left me with mixed emotions. I wondered how could I like and dislike...

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