दुख का नमक, कविता
प्रेम अविरल धारा है… ऐसा कोमल अहसास, जो कठोर हृदय को मोम सा पिघला दे… जब प्रेम भाव उमड़े तो स्त्री गुण ही हावी होते हैं मन में… पुरुष भी प्रेम में उतना ही संवेदनशील और कोमल हो उठता है,जितनी कि नारी… तो...
View Articleउजड़ा चमन
“ज़माना दिलों की बात करता है, पर मुहब्बत आज भी चेहरों से शुरु होती है” “उजड़ा चमन” का ये डायलॉग सुनने में शायद घिसा पिटा लगे पर सच्चा है… गंजे हीरो और मोटी हीरोइन को लेकर बनी ये फिल्म शायद सिर्फ cliche...
View Articleजवाब
कितना कुछ है कहने को पर शब्द नहीं कितना कुछ है करने को पर मन नहीं कितना कुछ अनकहा अबूझा सुख दुख से परे जीवन के फेर में सब सब अटका उलझा कुछ जवाब सवालों से ज़्यादा हैरां जो करते हैं… अनुपमा सरकार
View Articleहिंदी मूवीज़
पिछले दो दिन में चार मूवीज़ देखीं… पति पत्नी और वो (कार्तिक आर्यन के खातिर हालांकि काफ़ी बोर किया मूवी ने, पर पूरी देख ही ली) … मोतीचूर चकनाचूर, नवाज़ुद्दीन के कारण देखनी शुरु की थी, पर इतना हमाए...
View Articleरंग
आज ऑफिस से पैदल ही घर आयी… बहुत सालों में शायद पहली बार छोटी होली पर भी अकेले निकलने और पैदल चलने की हिम्मत जुटाई थी… हालांकि आधे रास्ते आते आते, अपना फैसला गलत लगने लगा… एक कॉलेज आता है रास्ते में और...
View ArticleSection 375, Movie
Section 375, कानून की वह धारा, जिसे लेकर हमारा समाज जाने कितनी बार कोर्ट रूम से लेकर मीडिया तक, खबरों में रहता है… बलात्कार, एक ऐसा कड़वा खौफ़नाक सच, जिसमें विक्टिम के साथ न्याय होने में सालों खर्च...
View Articleओलावृष्टि
1 घंटे तक बारिश और बीच बीच में ओले गिरे… धरती को सफ़ेद होते देखने का रोमांच ही अलग है… पर इस बेमौसम की बारिश पर मन झूमता नहीं… नाज़ुक पितुनिया खिले थे… सब टूट गए… अभी मेड अफ़सोस जता रही थी, “दीदी इत्ते...
View Articleकोरोना, जनता कर्फ़्यू
कुछ भी कहिए, मास्टर स्ट्रोक तो रहा ये जनता कर्फ्यू… हमारे देश में, जहां लोग हर रूल की धज्जियां उड़ाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं… करोड़ों को उनके ही घर की सीमा में बांध देना, आसान नहीं… एक दिन का...
View Articleयह कदंब का पेड़
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं...
View Articleज़रूरी है
कभी पुरजोर आवाज़ में कहती थी कि ख़बरें देखने सुनने से परहेज़ है मुझे… नकारात्मकता फैलाती हैं… पर अब इस वक़्त, जब नेगेटिविटी, बीमारी और उस से कहीं ज़्यादा मनुष्य की ढकी छुपी स्वार्थी बर्बरता, मुखर हो...
View Articleलघुकथा
लघुकथा एक ऐसी साहित्यिक विधा जिसमें कम से कम शब्दों में पाठक को हतप्रभ कर देना होता है। मंटो की दो पंक्तियों की ये लघुकथा पढ़कर देखिए उलाहना: “देखो यार। तुमने ब्लैक मार्केट के दाम भी लिए और ऐसा रद्दी...
View Articleदीवानी
सुनिए मेरी कविता दीवानी, मेरे शब्द मेरे साथ पर ये सरसराती सर्द हवा जब करीब से गुज़रती है जाने क्यों अपनी सी लगती है न बहने का खौफ इसे न थमने से डरती है ऊपर नीचे आगे पीछे पंख फैलाए आंखें मीचे उन्मुक्त...
View ArticleIt Works
When you hate yourself and Want someone else to Love You It doesn’t work When you love someone and Want that person to Love You back It doesn’t work When you love yourself and Want someone else to Love...
View Articleदिल्ली और कोरोना
गाज़ियाबाद के बाद आज नोएडा ने भी दिल्ली के साथ अपने बॉर्डर सील कर दिए, इस आशंका के साथ कि दिल्ली में कोरोना तेज़ी से फैल रहा है और वहां से आने जाने वाले इसे नोएडा गाज़ियाबाद में भी पहुंचा देंगें… सच...
View Articleबातें, बाबा नागार्जुन
बातें / नागार्जुन बातें– हँसी में धुली हुईं सौजन्य चंदन में बसी हुई बातें– चितवन में घुली हुईं व्यंग्य-बंधन में कसी हुईं बातें– उसाँस में झुलसीं रोष की आँच में तली हुईं बातें– चुहल में हुलसीं नेह–साँचे...
View Article14 Videos in a Month
As the Lockdown began, Mere Shabd Mere Saath decided to up its ante and to post more videos regularly. Today, we have successfully posted 14 videos in a month! April 2020 has been a roller coaster...
View Articleफिल्में और लेखन
जानते हैं दोस्तों! मूवीज़ और लेखन का बहुत बहुत गहरा रिश्ता है। दिखने में ज़रूर लगता है कि फिल्में, हीरो हीरोइन के बलबूते चल जाती होंगी। पर दरअसल कसी हुई कहानी, सशक्त स्क्रिप्ट, और मंजे हुए डायरेक्शन के...
View Articleनीरवता
गहराने लगी है नीरवता उदासी भी जमने लगी है मौन, एकांत, अकेलापन ये शब्द पर्यायवाची हैं या भिन्न मन को अंतर स्पष्ट करने की न व्यग्रता शेष न जिज्ञासा अर्थ का अनर्थ, अंत का होना अनन्त अब उद्वेलित नहीं करता...
View Articleभीष्म साहनी, अमृतसर आ गया है
कहानी कैसे लिखें, जानिए अनुपमा सरकार के साथ किसी भी कहानी में किरदार बहुत अहम होते हैं। वही जान डालते हैं कथानक में। उनके हाव भाव, वेश भूषा, संवाद व भाषा ही माध्यम बनती है, पाठक और लेखक के बीच। एक चतुर...
View Articleनिर्मल वर्मा, धूप का एक टुकड़ा
केवल एक पात्र को लेकर कहानी कैसे लिखें, जानिए अनुपमा सरकार के साथ… आज की कहानी है, निर्मल वर्मा की धूप का एक टुकड़ा… इसमें सिर्फ एक ही कैरेक्टर है, कम से कम दिखती बोलती एक ही औरत है… मोनोलोग, एकालाप को...
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