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कोरोना, जनता कर्फ़्यू

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कुछ भी कहिए, मास्टर स्ट्रोक तो रहा ये जनता कर्फ्यू… हमारे देश में, जहां लोग हर रूल की धज्जियां उड़ाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं… करोड़ों को उनके ही घर की सीमा में बांध देना, आसान नहीं… एक दिन का कहकर घर में बिठाकर, बड़े प्यार से रिहर्सल करवा दिया… साथ ही इनाम के तौर पर तालियां, थालियां, सीटियां, घंटियां, शंख बजवा कर, फ्रस्ट्रेशन भी बाहर निकलवा दी… कम से कम आज के दिन तो बल प्रयोग न के बराबर करना पड़ा… स्वेच्छा से मज़ाक मज़ाक में हो गया सब…

पर अब! अब आगे क्या? घर पर ही बैठना है, आने वाले कई दिनों तक, ये सुनकर और समझकर बहुत लोग परेशान होंगें… आज का दिन बड़ी बड़ी बातों और जोक्स में पास कर लिया गया… आने वाले दिनों में ऐसा होना कठिन… साथ ही उन लाखों मज़दूरों, कामगारों, बेघरों की रोटी, छत, सुरक्षा की भी ज़िम्मेदारी… और बीमारी व संक्रमण तो जो होगा, वो होना ही है…

हम सचमुच खतरे में हैं, शायद ये बात अब भी न हम स्वीकार कर पा रहे हैं और न ही समझ पा रहे हैं… मुश्किल की घड़ी है और हम ज़्यादातर बेसब्र… ऐसे में संयम और संकल्प, जल्द ही स्वैच्छिक नहीं अनिवार्य होंगें… इटली का हाल रोंगटे खड़े करने वाला है… हमारा तो ख़ैर, आम दिनों में भी कुछ ज़्यादा बेहतर नहीं होता… राजनैतिक मतभेदों और नीतियों से कहीं अलग, बस मानवता के नाते, काम करने वाले हर शख़्स के लिए दुआएं… ऑल द बेस्ट इंडिया… उबर जाना… अनुपमा सरकार


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