Quantcast
Channel: Scribbles of Soul
Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

प्रेम परिभाषा

$
0
0

प्रेम
इस छोटे से शब्द को परिभाषित करना
दुनिया का सबसे मुश्किल काम है
आप कह भर दें कि मुझे “तुमसे” प्रेम है
कि बस
“तुम” का होना, उसका होना रह ही नहीं जाता
क्षण भर में परिवर्तित हो जाता है
“मैं” और “तुम” एक “हम” में
केवल व्याकरण की पेचीदगी नहीं इसमें
सिर्फ़ शब्दों की हेराफेरी भी नहीं
कुछ हटकर, कुछ बच कर, कुछ छूट कर
और बहुत कुछ छोड़ कर और जोड़ कर
होता है प्रेम
आलिंगन, चुंबन, सहवास…
केवल यही तो नहीं
तब भी जब इसके एक कोने पर स्त्री
और दूसरे पर पुरुष हो
ज्यामितीय और सांख्यिकी की परिधि के
बाहर की वस्तु है प्रेम
बारिश की कुछ बूंदों का
संग चख लिया जाना
चाय की कुछ चुस्कियां का
एक साथ हाथों और दिल को तपाना
धूप की कुछ गोलियों का
धीमे धीमे बालों पर सरक जाना
कितना कुछ तो है प्रेम
इस “अहसास” का “अहसास”
इतना कोमल, इतना निरीह, इतना स्निग्ध
कि होंठों से कह भर देना
इसे खो देना है… अनुपमा सरकार


Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

Latest Images

Trending Articles



Latest Images