Quantcast
Channel: Scribbles of Soul
Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

फुर्सत के पल : 7

$
0
0

ब्रह्म मुहूर्त… अस्त होते चन्द्रमा के मद्धम प्रकाश में, उत्श्रृंखल सागर के किनारे गहरी गीली बालू… और दायें पांव के नख के अग्र भाग से अपना नाम अंकित करती एक परछाईं… नेपथ्य में शंखनाद और मन के कोने में उमड़ते भाव स्वतः जुड़ गए.. परन्तु प्रकृति में कुछ भी अकारण नहीं … आकाशीय पिंडों के अदृश्य वाद्य यंत्रों से झंकृत लहरों का नृत्य… जल-थल के संगम पर मन्द गति से रेंगते समुद्री जीव… लकड़ी की खोखली नावों से समुद्र के उन्मत्त ज्वार को पार करते, जिजीविषा का परिचय देते, विषम परिस्थितयों में जीविकोपार्जन में रमे मछुआरे… जीवन-संगीत की गूँज.. भाव विह्वल आत्मा की पुकार और एक साक्षात्कार.. स्वयं से स्वयं तक की अविस्मरणीय यात्रा… मृत्यु पश्चात पदचिन्हों के पूजन की परम्परा… चिन्हित रूपों में ईश्वर की अर्चना.. तत्व, काल, कर्म की विवेचना… क्षणभंगुर तन के गर्भगृह में शाश्वत मन की अनसुलझी पहेली.. सागर किनारे, गीली बालू, नख की कलाकारी और लहरों का अंतर्नाद… भिन्न कहाँ…


Viewing all articles
Browse latest Browse all 465

Trending Articles