$ 0 0 कोहरे का झीना दुपट्टा धूपीली किनारी और बाहों में खुद को समेटती वो मतवाली ये सुबह सरदी का पैग़ाम लाई है अलाव की ज़ीनत लौट आई है, लौट आई है…. Anupama